मनोहर मेमोरियल कॉलेज ऑफ एजुकेशन, फतेहाबाद में श्रद्धा एजुकेशनल एकेडमी, श्रीगंगानगर के सहयोग से ‘शिक्षा, मानविकी और डिजिटल नवाचार : एक बहुआयामी दृष्टिकोण’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य शुभारंभ किया। इस सम्मेलन में शिक्षा, मानविकी और डिजिटल नवाचार के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की। इस दो दिवसीय सम्मेलन में 110 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के प्रथम दिवस पर कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे सीडीएलयू सिरसा के रजिस्ट्रार डॉ. राजेश बंसल, प्रोफेसर निवेदिता, प्रो. रंजीत कौर, चेयरपर्सन, डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन, एमएम कॉलेज समिति के अध्यक्ष राजीव बत्रा, सचिव विनोद मेहता, उपाध्यक्ष संजीव बत्रा और अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर अतिथियों ने शिक्षा के उजियारे से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता पर बल दिया। कॉलेज की प्राचार्या डॉ. जनक रानी ने अतिथियों का स्वागत किया। आज पहले दिन डॉ. गुरचरण दास, प्राचार्य एमएम पीजी कॉलेज फतेहाबाद, डॉ. रजनी प्राचार्या शाह सतनाम कॉलेज ऑफ एजुकेशन, सिरसा भी मौजूद रहे
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. राजेश बंसल ने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली को डिजिटल युग के अनुरूप विकसित करने की जरूरत है ताकि छात्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो सकें। प्रोफेसर निवेदिता, जो लंबे समय से कॉलेज से जुड़ी हुई हैं, ने अपने प्रेरणादायक विचार साझा किए। सम्मेलन संयोजक डॉ. गुंजन बजाज ने भी शिक्षा के नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन के पहले दिन ‘सम्मेलन की स्मारिका’ का विमोचन किया गया। इस विशेष सत्र में डॉ. अश्विनी कुमार नागपाल, चेयरपर्सन, इंटरनेशनल एडवांस जर्नल ऑफ इंजीनियरिंग, साइंस एंड मैनेजमेंट, श्रीगंगानगर, राम देवी पीआरओ, श्रद्धा एजुकेशनल एकेडमी, डॉ. चन्द्रकांत चावला, मुख्य संपादक, आईएजेईएसएम, संजीव बत्रा वाइस प्रेसिडेंट, डॉ. गुंजन बजाज और प्राचार्य डॉ. जनक रानी सहित अन्य अतिथियों ने स्मारिका का विमोचन किया। कॉलेज प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष संजीव बत्रा ने अतिथियों और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया और अपने वक्तव्य में नेचुरल इंटेलिजेंस और मूल्यों पर विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक बुद्धिमत्ता केवल सूचना संग्रहण तक सीमित नहीं, बल्कि यह अनुभवों से सीखने, तर्क करने और उचित निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाती है। यह सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक बुद्धिमत्ता के साथ व्यक्तित्व विकास में सहायक होती है। उन्होंने नैतिक मूल्यों और हमारी संस्कृति को समाज की प्रगति का आधार बताते हुए विद्यार्थियों से इन मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया। कार्यक्रम के मंच संचालन का कार्य सहायक प्रोफेसर सुमन बिश्नोई, डॉ. नरेंद्र कुमार और सहायक प्रोफेसर रेखा द्वारा कुशलतापूर्वक संपन्न किया गया।
तकनीकी सत्र में शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने प्रस्तुत किए अपने शोध पत्र
सम्मेलन के पहले दिन का प्रथम तकनीकी सत्र प्रो. रंजीत कौर, चेयरपर्सन, डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस सत्र में शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए, जिनमें डिजिटल शिक्षा, मानविकी और तकनीकी नवाचार से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इसके बाद, सम्मेलन के दूसरे सत्र में मैकगिल विश्वविद्यालय कनाडा के शिक्षाविद डॉ. रविन्द्र कुमार गिल ने ऑनलाइन माध्यम से अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने ‘तकनीकी विकास और शिक्षा में मानवीय मूल्यों के समावेश’ पर जोर देते हुए कहा कि डिजिटल युग में नैतिकता और संवेदनशीलता को शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा तुर्की के प्रतिष्ठित शिक्षाविद डॉ. ओजोन ओजर ने भी मानविकी और तकनीकी नवाचार पर ऑनलाइन माध्यम से अपना व्याख्यान दिया। यह दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 20 मार्च को अपने अगले सत्र के साथ जारी रहेगा, जिसमें विभिन्न शिक्षाविद, शोधार्थी और विशेषज्ञ अपने विचार साझा करेंगे।