भाषा से ही हमारी सभ्यता और संस्कृति संरक्षित होती है : प्रो. अजमेर सिंह मलिक
एम.एम. शिक्षण महाविद्यालय में ‘भारतीय भाषाओं में संप्रेषण कौशल के विकास’ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ
मनोहर मैमोरियल शिक्षण महाविद्यालय, फतेहाबाद में आज से भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में ‘भारतीय भाषाओं में संप्रेषण कौशल के विकास’ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 19 से 21 जनवरी तक किया जा रहा है। आज इस कार्यशाला के प्रथम दिवस का शुभारंभ चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति अजमेर सिंह मलिक द्वारा मां सरस्वती के सामने दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। इस कार्यशाला में भगवानदास मोरवाल, प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्यकार ने मुख्य वक्ता के तौर पर शिरकत की। इस अवसर पर महाविद्यालय प्रबंधन समिति के प्रधान राजीव बत्रा, महासचिव विनोद मेहता, उपप्रधान संजीव बत्रा, प्राचार्या डॉ. जनक मेहता व कार्यशाला संचालिका डॉ. कविता बत्रा द्वारा आए हुए अतिथियों को शॉल व स्मृति चिन्ह द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सीडीएलयू कुलपति अजमेर सिंह मलिक ने कहा कि भाषा से ही हमारी सभ्यता और संस्कृति संरक्षित होती है। हमारे संस्कार और सम्पन्नता का परिचायक भाषा ही होती है। एक विशेष भाषा एक विशेष सामाजिक समूह की संस्कृति की ओर इशारा करती है। भाषा सीखना, इसलिए, न केवल वर्णमाला, अर्थ, व्याकरण के नियम और शब्दों की व्यवस्था सीखना है, बल्कि यह समाज के व्यवहार और उसके सांस्कृतिक रीति-रिवाजों को भी सीखना है। मुख्य वक्ता भगवानदास मोरवाल ने कहा कि प्रत्येक भाषा की ताकत लोक भाषा में होती है, उन्होंने विभिन्न बोलियों के साथ लोकोक्ति, मुहावरों का परिचय देते हुए अपने अनेक अनुभव भी साझा किए। प्रथम सत्र के समापन पर महाविद्यालय प्रबंधन समिति के उपप्रधान संजीव बत्रा ने आए हुए अतिथियों का अभिवादन और धन्यवाद किया तथा आए हुए प्रतिभागियों और स्टाफ सदस्यों को इस तरह की कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में डॉ. सिद्धार्थ शंकर रॉय, सहायक प्राध्यापक, केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ ने विशिष्ट वक्ता की भूमिका निभाई और उन्होनें प्रतिभागियों को बताया कि भाषा शिक्षण की अंत्यत जरूरत है और आज हमें भाषा अनुसंधान पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कार्यशाला के तृतीय सत्र में डॉ. गीतू धवन सहायक प्राध्यपिका, हिंदी विभाग, गुरु जंभेश्वर विज्ञान व तकनीकी विश्वविद्यालय, हिसार से विशिष्ट वक्ता की भूमिका निभाई। इस सत्र में उन्होनें अन्त:क्रियात्मक गतिविधियों द्वारा साहित्य व संवाद कौशल की उपयोगिता को दर्शाया। कार्यशाला के चौथा सत्र में डॉ. रविन्द्र पूरी प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय, रतिया से विशिष्ट वक्ता की भूमिका निभाई। उन्होंने प्रतिभागियों को मौखिक अभिव्यक्ति के साथ-साथ सांकेतिक अभिव्यक्ति कौशल से परिचय करवाया। इस अवसर पर एमएम कॉलेज प्राचार्य डॉ. गुरचरण दास, सुदर्शन सिंह मल्होत्रा, रजनी बाला प्राचार्या शाह सतनाम महाविद्यालय सिरसा, प्रो. सुभाष शर्मा, प्रो. हरभगवान चावला भी मौजूद रहे। इस कार्यशाला में अलग-अलग राज्यों से आए लगभग 60 प्रतिभागी शामिल हुए। इस अवसर पर मंच संचालन का कार्य डॉ. गुंजन नारंग, सुमन बिश्नोई के द्वारा किया गया।
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